Avyakt Baapdada - 10.04.1991


पुण्य आत्मा

सदा भरपूर बादशाह है...



"...पुण्य कर्म अर्थात्

आवश्यकता के समय

किसी आत्मा के सहयोगी बनना।

अर्थात् काम में आना।

 

 

पुण्य कर्म करने वाली आत्मा को

अनेक आत्माओं के दिल

की दुआयें प्राप्त होती है।

 

 

सिर्फ मुख से शुक्रिया वा

थैंक्स नहीं कहते लेकिन

दिल की दुआयें गुप्त प्राप्ति

जमा होती जाती हैं।

 

 

पुण्य आत्मा, परमात्म दुआयें ,

आत्माओं की दुआयें

इस प्राप्त हुए प्रत्यक्षफल से

भरपूर होते हैं।

 

 

पुण्य आत्मा की वृत्ति,दृष्टि

औरों को भी दुआयें

अनुभव कराती हैं।

 

 

 

पुण्य आत्मा के चेहरे पर

सदा प्रसन्नता,

सन्तुष्टता की झलक

दिखाई देती है।

 

 

 

पुण्य आत्मा सदा

प्राप्त हुए फल के कारण

अभिमान और अपमान से

परे रहती है।

क्योंकि वह

भरपूर बादशाह है। ..."

Back Date Murlis